" आधे हम, अधूरे हमारे ख्वाब "

मैं मजनूँ - तू लैला.. - :)

बात अब तो दिल की जुबां पर आने से रह गयी,

आधे थे - हम, अधूरे थे - हमारे ख्वाब..

तेरे बिन जिन्दरी आधी-अधूरी किस्सा बनकर ही रह गयी !! 

M@n6i



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